कुलानन्द मिश्रक कविताक बाट चलब जीवनक सोझ साक्षात्कार थिक। हिनक कविता मे जीवन अपन सम्पूर्ण जटिलता आ ओझरा, सरलता-सरसता-ममता आ राग-विराग ओ संगति-विसंगतिक संग अभिव्यक्त भेल अछि। मिथिलाक प्रति कविक संपृक्ति रोमांटिक वा तात्कालिक नहि, आत्मीय ओ सहज अछि। आ एहि अर्थमे कुलानन्द मिश्र अपन माटिक एकान्त कवि छथि-अपन कथ्य, भंगिमा ओ भाषा-सम्वेदनाक संग। यात्री ओ राजकमल चौधरीक बाद म…
आगू पढू...चेतना समिति, पटनाक विद्यापति स्मृतिपर्व समारोह-2015क अवसर पर एहि नाटक ‘ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड’क प्रथम मंचन भेल छल। हमरे लिखल एहि नाटकक निर्देशन सेहो हमरे करय पड़ल छल। से परिस्थितिवश करय पड़ल। एकर पृष्ठभूमि मे मारिते रास सामान्य-असामान्य कारणसभ सेहो छल। सर्वप्रथम तँ एहि नाटकक कथ्य ल’ क’ हमरा भय छल जे समिति आ ओकर नाट्य-परम्परा केँ ई जँचतैक कि न…
आगू पढू...श्री हरे कृष्ण झा 1 तहिया ग्रेजुएशन मे रही। प्रोजेक्ट वर्क चलैत रहय। साधारणतया लेट सँ घुरैत रही डेरा। आइ मुदा साँझहि सँ मोबाइल बेर-बेर बाजय। माँ करय फोन जे आइ जल्दी आबि जइहें। कियैक ? — हम पुछलियैक। माँ कहलक हरेकृष्ण भैया आयल छथिन्ह। "अच्छा" कहि क' हम फोन काटि देल। हम ताहि सँ पहिने हुनकर सिर्फ नाम सुनने आ कविता पढ़ने रही। पिताजी बेसी काल कवि…
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