मिथिलाक मधेपुरा जिलाक जीतपुर गाम मे 1968 ईस्वी मे जनमल कृष्णमोहन झा दिल्ली विश्वविद्यालय सँ हिन्दी मे एम.ए आ जेएनयू सँ एम.फिल. आ पीएचडी छथि आ सम्प्रति असम विश्विद्यालय, सिलचर मे हिन्दीक प्रोफेसर छथि । हिन्दी मे एकटा कविताक पोथी 'समय को चीरकर' प्रकाशित-प्रसंशित छनि । 'कन्हैया स्मृति सम्मान' आ 'हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार' सँ सम्मानित कृष्णम…
आगू पढू...मैथिली कविता मे कतेको 'वाद' सब अबैत-जाइत रहल । यथा - सहजतावाद, अभियंजनावाद, अकवितावाद, नवकवितावाद, आ अग्निकवितावाद, आदि-आदि । समयक कोनो कालखण्ड मे कविताक मूल प्रवृति तत्कालीन समाजक व्यवस्था, कविताक स्वरूप आ यथास्थितिक प्रति विद्रोह होइत रहल अछि । 'अग्निपुष्प' अग्निजीवी पीढ़ीक महत्वपूर्ण नाम छथि । समाजक परिपेक्ष्य मे कोनो विचार कोनो कालखण्डक लेल प्रास…
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