आत्मकथा १. नेने मे बियाहलि एकटा नेनाक चारिम नेना छलहुँ हम तेसरक मुइला पर माँगल चाँगल जीबछ धार मे चू कटबाक कबुला कैल चारिम नेना हम। कहाँदन जनमैते देरी लग्घी नहि भेल हमरा प्राय: ओहि पुरखा जकाँ जे रहबैयाक नाम गोत्र देखि सुटका लैथि लग्घी कैक ठाम प्राय: बुझा गेल छल ओही खन हमरा नहि रहबा जोगरक अछि ई दुनिया। २. जत’ जन्म भेल हमर ओत’ पहाड़ नहि धार छलैक कैकटा मुदा कहियो काल सा…
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