से पूरा-पूरी बेचैन-स्थिति रहै । स्नेहिका दुष्यन्तक ह्वाट्सऐप, कि फोन, किछुओ 'इंटरटेन' नहिक' रहल छलै । कतहु ओकर मोन-तोन, आकि मोबाइले तँ ने हेरा गेलै ! नहि तँ पारिवारिक स्तरपर कोनो असुविधा भेल हेतै ! आखिर किछु तँ भ' सकैत छै ! एहि युग मे फोन सँ क्यो निरपेक्ष रहि सकैए की ! ओना भ' सकैत छै, लगनक हूलि-मालि छै, कतहु भासि ने गेल होइ ! …
आगू पढू...एक टा भव्य विवाह भवन। रंग-रंग केर खान-पीनक ओरियाओन। बरियाती सभ जलपान , चाह मे मगन। जयमाल कराओल जेतैक ताहि लेल कनिआँ - ब'र केँ चकरी जकाँ घूमैत स्टेज पर चढ़ाओल गेलैक । लाउडस्पीकर पर गीत बाजि रहल छल “जेहने किशोरी मोरी तेहने किशोर हे, विधना लगाओल जोड़ी केहन बेजोड़ हे ”। ब’र कनिआँ एक दोसरा केँ माला पहिरौलनि कि बड़ी जोर सँ फटक्काक अवाज भेल। हम चेहाय उठलहुँ । बड़ अजगुत लागल …
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