विश्व-परिदृश्य सन्दर्भित अजित आज़ादक बारह टा कविता

1. दुरमतिया

बांग्लादेशी अर्थव्यवस्था सँ पछुआयल हम
पोसने छी मनोरथ
बुर्ज खलीफाक छाहरि तर सुस्तेबाक
पोसिया लागल लालकिला पर
आफन तोड़ैत सत्तरि सालक झूठ सँ
निंघटि गेल अछि चाँदनी चौकक इजोरिया
एक दिन देखब अहाँ सभ

किम जोंगक रनिवास लेल
बेचि देल जायत मुगल गार्डेनक सभटा फूल
बेचबाक लुतुक एहेन जे किछुओ नहि रहय देल जायत अनमोल
व्हाइट हाउस मे थुथुन रगड़ैत जापान केँ देखितो
छाती मे भरने जा रहल छी बाइडेनक हुक्का

कुवैती लोहिया मे भोर-साँझ
पड़िते जा रहल छैक फोरन
झोंका रहल अछि चूल्हि मे जारनि बनल इराक
सस्ता रहितो ईरानी तेल नहि किनबाक विवशता सँ
पेराय रहल जनता लग कठहँसी छोड़ि
किछु नहि बाँचल छैक आब
नटलीला मे अप्सियांत नाटो
रोकने अछि नैका बनिजाराक अबरजात
नहुएँ-नहुएँ नील समुद्र भ' रहल अछि लाल
तुर्कीक तुरछब पर गबदी मारने अछि यरुशलम
वेटिकन सँ निकलैत उजरा धुआँ देखेबाक बहन्ने
भकसी मे झोंकि देलक वुहान
के नहि मुइल अछि जीविते
ककर हृदय नहि छैक समाधि-स्थल
तखन कियैक परिकठ पर मूड़ी रखने अछि हमर देश
कोन दुरमतिया घेरने छैक एकरा

कवि लोकनि लिखि रहल छथि व्यक्ति-वन्दना
गबैया लोकनि गाबि रहल छथि पैरोडी पर बनल पैरोडी
ग्राउंड लिस्ट मे सन्हियेबा लेल अपन नाम
चारण-मुद्रा मे शुरू भेल अछि समीक्षाक सत्र
भसकि गेल अछि विपक्षक गोड़ा
एहू बेर नहि फांगि सकल अछि
राणा प्रतापक घोड़ा!

2. ल्हासा मार्केट

बनैया सुग्गरक डरें
लत्ते-पत्ते भागल हजारक हजार लोकक संग
भागल रहथि इहो सभ सेप घोंटैत
कनबाक हिस्सक सँ छुटैत नहि रहनि पछोर
छाती मे जोगने भरोसक बगुली बलें
टपल रहथि पठार
कँटैया तारक एहि पार दिल्ली रहैक, पटना रहैक
ओहि पार नढ़ेरक हेंज
करुणा सँ पघिलैत सीमा केँ देखने रहथि पुरखा
लिधुरायल तरबा मे लागल लाल माटि संग
गढ़लनि एकटा स्वप्न-- ल्हासा मार्केट
लत्ते-पत्ते भागल लोक
लत्ते-कपड़ा बेचैत-बिल्हैत रहैत अछि
भरि जन्म किनसाइत

शरणार्थी कैम्प मे गज-गज करैत बूढ़-पुरान सभ
भिक्षुक मुद्रा मे ओढ़ि लेने रहथि परम्परा
अहिंसाक छत्ता तानि मानि लेलनि नियति
लामा लोकनि धयलनि धर्मशाला
ई जुवती लोकनि किन्तु नहि गहियौलनि माला
धर्मशालाक बाहर आबि ठाढ़ कयलनि बजार
जिद सँ झाँपि देलनि लज्जा-बोध
आ निर्विकार भाव सँ लेबय लगली देहक नाप
ने मुस्की बेचलनि आ ने करुणा
ऊनी शॉल मे सन्हियाक'
ओढ़बैत रहली तिब्बती स्वाभिमान
गढ़लनि एकटा प्रतिमान विश्व बाजार केँ चुनौती दैत

कतेक सुन्नरि लगैत छथि ई लोकनि
पवित्रताक आभा सँ दीप्त
छोट-छोट आँखि मे घुरबाक स्वप्न बीच
ऊनक पोला जकाँ ल्हासा मार्केट बनि
गुड़कल छथि एहि भूखंड पर जहिं-तहिं
परिचिति नुकेबाक ब्योंत मे लागल एहि समय केँ
अयना देखबैत ई कमासुत लोकनि
शेयर बजारक सांढ़क आगू ठाढ़ छथि
लाल रुमालक संग
लाल सेनाक आगू ठाढ़ हेतीह एकदिन एहिना

कहिया घुरती ई लोकनि अपन देश
कहिया गओती ई लोकनि अपन भूमि पर राष्ट्रगान
दुनियाँक छत कहबैत अछि हिनक देश
जखन कि हिनका सभक एकचारी पर्यन्त नहि छनि ओहिठाम
जहिया जेती ई लोकनि
सांठि देबनि अलता-महावर
आयल रहथि जहिया
बोरैत आयल रहथि रक्तिम पदचिह्न
जहिया जयती, ढौरैत जयती पृथ्वी
जुट्टी मे गाँथि देबनि अड़हुल
एखन जे देबनि त' संदेह सँ भरि जेती दुर्गा!

3. अठौरी

नांगरि सँ रोमल जा सकैत अछि डाँस
नादि मे जीह रगड़ि मारल जा सकैत अछि बिरखी
सिंघ पर उठाओल जा सकैत अछि पहाड़
लथार सँ टारल जा सकैत अछि आसन्न संकट
मुदा के जानि सकैत अछि ओहि बड़दक पीड़ा
जकर सगर देह मे छाड़ल छैक अठौरी

पीठ पर बैसल कौआ
लोलियौने रहैत छैक सगर देह
अछौं भरि खाइत अछि अठौरी
बड़दक पीठ घाहिल करैत
नोति अबैत अछि समूह केँ

नांगरि सँ रोमल जा सकैत अछि कौआ
मुदा अठौरी सँ बाँचब छैक जरूरी
सिंघ मे तेल औंसला सँ नहि
अठौरी बिछला सँ भेटतैक त्राण
सुखायल नार-पुआर सँ बनिते छैक खून कतेक
गिरहतक घूर-धुआं नहि आबि रहल छैक काज
हुड़पेटि सकैत अछि ककरो मुदा
हँसोथि नहि सकैत अछि देह अपन

अशोक चक्रक भार उठौने एहि बड़द पर
लिखल त' जा सकैत अछि कविता
मुदा बीछल नहि जा सकैत अछि अठौरी
देखि सकैत छी खून चुसाइत
घाहिल होइत देखि सकैत छी अनवरत
एही विवशताक नाम थिक लोकतंत्र

ई अठौरी
पटल जा रहल अछि

घोड़ा मे
सिंह मे
नक्शा मे सेहो
सोहरि रहल अछि अठौरी सगर देश
काँव-काँव सँ भरि गेल अछि आकाश
भरि गेल अछि संसद मार्ग बीट सँ
व्यक्त भेल अछि संवेदना ट्वीट सँ।

4. मोसबिर्द्ध पर उगल केश

मोसबिर्द्ध पर उगल केश छी हम
परिचित भूगोल सँ बाहर
उगि सकैत रही माथ पर
काँख मे, छाती पर
जनमि सकैत रही पिपनी सँ
पैरक औंठा धरि कतहु
देबाल पर उगल बड़-पीपर जँ रहितहुँ
सेवि लितहुँ मनोरथ मे जलढार
किन्तु उगल छी हम मोसबिर्द्ध पर केश बनि
परती पर ठाढ़ मनुखदेवा नाहित

समूह सँ बिछुड़ल बानर
गामक एकटा चार पर बैसल अछि मन्हुआयल
होहकारी पर सैंति-समेटि लेने अछि नांगरि
घुरि जायत एकदिन
एहि चार सँ ओहि चार करैत
बिसरि जायत ढेपमारा सभक अनकट्ठल उपकार

केश छी हम
पाँखुर पर उगल मोसबिर्द्ध पर
झेलि चुकल छी पीठ पर असंख्य ढेप
छिटकी सँ खसल छी बेर-बेर
मानि लितहुँ उपकार जँ नहि रहितहुँ एकर्णवा
परिचित भूगोल सँ बाहर रहबाक दंश
भोगि रहल छथि कश्मीरी
असंख्य लामा धर्मशाला मे नचा रहल छथि चक्र
दोसर देशक सैनिकक हाथे
खरजिम्मा लगबैत दुधमुहाँ केँ देखने छी
काबुलक एयरपोर्ट पर
सीरिया सँ भागल छौड़ी केँ
नहि भेटलैक अछि कतहु अपना देशक दूतावास
हजारक हजार शिविर मे पसरल अछि निविड़ अन्हार
अपने कान्ह पर अपन लहास लादि
छिछिएबाक नाम थिक निष्कासन

मोसबिर्द्ध पर उगल केश थिक सभ
समूह सँ बिछुड़ल अनचिन्हार इजोत मे फकसियारी कटैत
हमर एहि देश मे
सभ सँ नमहर मूर्ति अछि
सभ सँ नमहर स्टेडियम अछि
सभ सँ नमहर मोंछ अछि, दाढ़ी अछि, जट्टा अछि
एहि सभ मे कतहु नहि छी हम
राजसत्ता मे परिवर्तित लोकतंत्र मे
निर्वासित छी देशद्रोहक अपराधी सन
हमरा मोनक सूडान मे गाजापट्टीक हाक्रोश अछि

एकटा हाथ छुटला सँ
घसकि जाइत छैक पैर तरहक जमीन
आँखि मे कंसारक आगि लेने कनखड़ल रहैत छैक लोक
जीवनक सभटा उद्यम
मोसबिर्द्ध पर उगल केश पर अबैत-अबैत
विलीन भ' जाइत छैक
सुपौलक नक्शा सँ बनैनियाँ जकाँ

विचारक हत्या लेल उद्धत ई समय
हमर गवाही पर्यन्त नहि सकारत!

5. पंजशीरक स्त्रीगण

धौजनि भेल शरीर
आ भुजबी-भुजबी भेल आत्माक अछैत
ठाढ़ अछि सात टा स्त्री पंजशीर मे
के अछि ई सातो जकर तख्ती पर लिखल अछि
तालिबान मुर्दाबाद

सात शहीदक तिरपेच्छन कयने छी अनेक बेर
कहियो नहि ललचौलक बिहार विधानसभा
मुदा सातो शहीदक अभियानी मुद्रा
खींचि अनैत अछि एहिठाम
भुटकल रोइयाँ मे बन्हा जाइत अछि असंख्य तिरंगा

लंक ल' क' भागल अमरीका लेल 
अपन लोक छल प्राथमिकता
अपनहि लेल ठमकल रहल ब्रिटेन
फ्रांस-जर्मनी अपने लेल बेहाल
एहि स्त्रीगण सभक एकहु टा समांग नहि छनि बाँचल
आँखिक सोझाँ मे मारि देल गेल छनि पिता-पति-पुत्र
देह पर झेलि चुकल छथि असंख्य गहुँमन
की छनि बाँचल आब जे भेल छथि उत्फाल

तीन सय देशक आँखि झुकल अछि आइ
लज्जा-बोध सँ सगर दुनियाँ बंद कयने अछि टीवी
सातो महादेश पर भारी पड़ल छथि ई सातो
सत्तरि लाख गोलीक भंडार सँ
कखनहुँ निकलि सकैत अछि सात टा गोली
मुदा तख्ती पर लिखल आखर संग ठाढ़
ई महिला लोकनि मरि नहि सकती कहियो

हमरा देशक महिला
एखन गाबि रहल छथि सतभइँयाक गीत
खेला रहल छथि सामा
बुझल रहितनि नाम पंजशीरक
देखने रहितथि जँ सीरियल मे
बिन सतभइँयो केँ ठाढ़ भेल जा सकैछ रणभूमि मे
कहिया बुझथिन मिथिलानी
इहो सभ त' छथिहे अधिकारहीन!

6. आत्मा

श्रापित अछि मिथिला
खिहारि रहल अछि दू सदी सँ
सुगौली संधिक अभिशाप
उघि रहल अछि कान्ह पर अपन
दू-दू टा राष्ट्रीय ध्वज
पैर भेल छैक लोथ
गति भेल छैक मंथर

पुनौरा आ धनुषाक बीच
तीर सँ खींचि देल गेल अछि डरीर
दिल्ली आ काठमांडूक पर चढ़ल भुतसप्पा सँ
पिपरौन आ लगमा-नंगरानिक बीच बढ़ल अछि भतबरीक अंदेशा
अपन-अपन देश मे जय मिथिला कहबा सँ पहिने
चारू भर सँ रहय पड़ैत अछि साकांक्ष
काछिक' फेकि देल जइतैक बीच सँ नो मेन्स लैंड
एहेन दुनियाँ बनब सम्भव नहि लगैत अछि आब

कविता थिक शिलालेख
हस्ताक्षर थिक कविता
त' की असंभवक समर्थन पर
कयल अछि हम ई हस्ताक्षर
अपन एहि कविता सँ नासकार जायब से मंजूर
मुदा नहि चाहब भतबरी सप्तरी आ सुपौलक बीच
छाती पर गाड़ल पाया सँ घाहिल अछि शरीर अबस्स
मुदा आत्मा नहि।

7. टाट

अँगना मे टाट ठाढ़ करबा काल
एक बीत अपने दिस घुसकाक' गाड़ने रहथि खुट्टा
रग्गड़ खायल जड़ीब समेटैत बाजल रहथि अमीन--
सीखह अपन पित्ती सँ
जुनि बनह नेतघट्टू
तोंही जँ घुसकि जइतह पाछू त'
सूप सन होइतनि छाती
पिताक बाद वैह ने छथुन पिता...
आ हम ताइवानी मुद्रा मे
सकारि लेलहुँ चीनक धुरफन्दी

टाट पर लतरय लागल लत्ती
फुलाय लागल फूल
फड़य लागल बतिया

लत्ती केँ कथी लेल बुझल रहितैक
वास्तविक नियंत्रण रेखा
एलएसी पार करैत चतरि गेल एहू कात
एक बीत पाछू घुसकल टाटक सीमाक भीतरे
लटकय लागल बतिया पर बतिया
पित्तीक भन्साघर धरि पहुँचैत रहलनि दुनू कातक फड़
नहुएँ-नहुएँ हमर अँगना
बनि गेल पाक अधिकृत कश्मीर

फड़ तोड़बाक लाथे एहि पार धरि
अबैत रहली पितियानि
अपन छोड़ल एक बीत जमीन मे
अँटि नहि पबैत रहनि पैर
टाट दिस घुमिक' सुनाओल करथि गारि
आर्मेनिया बनल हम
देखैत रहलहुँ अजरबेजानक हुकमैती
ई टाट थिक कि नागोर्णो-कारबाखक पहाड़ी
डोकलाम बनल अपन अँगना केँ
लतखुर्दनि होइत देखैत रहलहुँ चुपचाप

एहि अंतहीन खेड़हाक एकटा पक्ष ईहो थिक जे
अमीन अबैत रहला नित्तह
चाह पिबथि दुनू आँगन
फदको करथि दुनू कात
जयबा काल बान्हि लेथि दू साँझक तरकारी
नहि जानि, ई अमीन छथि कि अमरीका

अपन अँगना मे तेसर विश्वयुद्ध केँ
देखि रहल छी अँकुराइत
जखन कि पित्ती छथि पिता बराबर
पितियानि छथि माय
एहेन मे अहीं कहू, कोना टारी युद्ध
कतेक दिन बनल रही तिब्बत?

8. तालिबान

राति पहाड़
दिन जंगल
बन्दूकक नोकी पर टाँगल जीवन
छातीक एक-एकटा धड़की पर
हजार-हजार टा फड़की बान्हल
स्त्री होयब अभिशाप अछि एखन
दुर्गंधि सँ भरल अछि हिंगक देश ई
एतेक लहास कि एकहु टा लहास पर नोर नहि

शकुनिक पास हथियौने अछि के
के ओछौने अछि चौसर
ककर गोटी भेलैक अछि लाल
गिद्धक गेल्ह सभ गुड़कि-गुड़कि
कियैक खसि रहल अछि खोंता सँ

अन्हार सँ इजोत मे अबैत-अबैत
अन्हराय गेल अछि तालिबान

गांधारी
अहाँक नैहर मे
सभक आँखि पर कियैक अछि करिया पट्टी
एतेक गदहा कियैक अछि एहि देश मे?


9. कंसार

घुरि गेल अछि सभ
भुजा गेलनि अछि सभक चाउर-चूड़ा-बूट
सभटा जारनि भकोसि गेल अछि कंसार
अन्तिम घानी सँ पहिनहि कतबहि मे जाकल पतलोइ मे
लागि गेल छल हाथ
बाँचल अछि किछु हरियर झांखी
किछु खुहड़ी, किछु चिपड़ी काँच
लहकल आँच पर बेराबेरी
छिच्चा द' रहल अछि किछु देश
निंघटय लागल अछि सागर-महासागर

धीपल बालु बनल अफगानिस्तान मे
एखनहुँ भुजाय सकैत अछि फुटहा

हौ नार्वे तोहीं आबह
नहि किछु त' नोबेल भुजबा लैह
ताकि रहल छह तोरे दिस
मरदुआर मारिते रास!

10. अमरीका

टीक मे टीक ओझराक' मारय चाहैत अछि अमरीका
दू गोल मे बँटल दुनियाँ मे
खन कियो ओहि पार, खन कियो एहि पार
मँझबिकनी बनल किछु देश
दुनू पक्ष केँ बेचि रहल अछि गोला-बारूद
हमरा देशक सत्ता जकाँ बयानवीर बनल अछि संयुक्त राष्ट्र संघ

मुखिया चुनाव मे ठाढ़ प्रत्याशी लोकनि
जोड़ि रहल छथि टोले टोल
सम्बन्ध-बन्ध, जतियारे
नहुएँ-नहुएँ घटैत जाइत बाटक चकराइ सँ
नहि छनि कोनो माने-मतलब
जाति आ धर्म थिक मुख्य चुनावी मुद्दा
एमपी-एमएलए बिलहि गेल छनि ई सूत्र
गामक ई बात कोना बुझि गेल ई विश्व
सभटा मुस्लिम देश एक दिस
सभटा ईसाई देश एक दिस
सभटा हिन्दू देश एक दिस
अमरीका अछि मुदा एहि सँ ऊपर
ओकर लक्ष्य अछि ओझरी
एक हाथ सँ धयने अछि भारत
दोसर हाथ सँ पाक
एकटा डेग देने अछि इजरायल, दोसर डेग इराक
लोभ देखाक' लाभ लेबा मे नहि अछि एकर जोड़

बरबादी भोगने एकटा देश अछि वियतनाम
एकटा देश अछि भूटान हाहे-बरबादे सँ दूर
उकस-पाकस करैत एकटा देश अछि नेपाल
एकटा देश अछि भारत जे रूस दिस घुमिक'
अमरीका दिस बढोने अछि हाथ

स्वाभिमान मे हम वियतनाम हुअ चाहैत छी

ओह
इहो बात त' चाहिते अछि अमरीका!

11. मिथिला टॉकीज

जहिया नीलम टॉकीज बन्न भेल रहैक
तहिया ओतेक दुख नहि भेल
जतेक दुख भेल मिथिला टॉकीजक टुटला पर
जेना रसे-रसे खसि रहल अछि मिथिला तेना नहि
भरभराक' खसल छल ई हॉल
किछुए दिनक बाद ओहीठाम
ठाढ़ भेल चमकैत एकटा मॉल
जाहि मे गीतक किताब त' दूरक बात
हीरो-हीरोइनक फोटो धरि भेटब दुर्लभ
नहि जानि कतय बिकाइत होयत आब
मुकेश के दर्द भरे नगमे
मोहम्मद रफी के सदाबहार गीत
आ कि लौजक देबाल पर सटबा जोग माधुरी दीक्षितक फोटो
कतय गेल होयत बिलेकिया सभ
कोना चलैत हेतैक आब थानाक खर्चा-पानि
रुसल प्रेमिका कोना बौंसाइत अछि आब
टावरे टा ठाढ़ कयला सँ नहि बनैत छैक कोनो शहर
शहर मधुबन्नीक शान छल शंकर टॉकीज
मुदा आब उजरा सीथ सन शंकर चौक पर
सुनल जा सकैत अछि
मटियामेट भेल मिथिलाक निर्गुण

बिसरा गेल अछि बीसी, डीसी आ स्पेशल
स्मृतिक शब्दकोश मे
नहि अभरैत अछि आब मॉर्निंग आ मैटिनी शो
अगिला सीटक पिक्की आ पछिला सीटक हलचलीक बीच सँ
निकलि आयल छी बड़ी दूर
सिनेमाक विज्ञापन सँ छाड़ल अखबार देखि
लागि जाइत छल थाह कहियो--
कोन शहर मे कोन-कोन छैक हॉल
सहरसाक मीरा मे की छैक लागल
सुपौलक चन्द्रा मे ककर छैक पोस्टर
उमा दरभंगा देखा रहल अछि की
श्याम टॉकीज मुजफ्फरपुर आ कि पटनाक वीणा सिनेमा मे
कोन फिल्मक छैक धुमसाही
बेतिया मे कोन फिल्मक छैक चलती
सिनेमा देखला बादक फदका
कतय सँ होइत छल शुरू आ अंत कोन ठाम
नहि पड़ैत अछि मोन किछुओ
अधरतिया मे चान देखबाक सोह
नहि रहि पबैत अछि आब

रतुका अंतिम शो देखलाक बाद
घुरल छी घर कतेको बेर असगर
कहाँ डर भेल कहियो
भेटिये जाइत छल दर्जनो रिक्शा घंटी टुनटुनबैत
आब सभटा रिक्शा ध' लेलक अछि टीशन-बस स्टैंड
चिनियाँ बदामबला पकड़ने अछि पसिंजर
त' चनाचूर बला पब्लिक स्कूल
मुदा कतय अछि हथबत्ती सँ सीट देखबयबला युवक
कतय राखल अछि ओकर टॉर्च
एहि अन्हार मे नहि देखा रहल अछि किछु

सभ किछु सहि गेल ई शहर
जेना पुरस्कार लेल दम सधने रहैत अछि लेखक
जेना स्वीकार मे जीबि रहल अछि विपक्ष
जेना सभ किछु देखितो
गुम्मी लधने रहैत अछि संयुक्त राष्ट्र संघ

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर केँ ध्वस्त होइत देखने छी हम
काबुल आ गाजापट्टी केँ ध्वस्त होइत देखने छी हम
मिथिला टॉकीज केँ ध्वस्त होइत देखने छी हम
आब अपने टा ध्वस्त होइत देखब रहि गेल अछि शेष
किन्तु हम
स्वीकारक कवि नहि थिकहुँ बंधु!

12. दृष्टि-दोष

औरंगजेबक नहि
दारा शिकोहक हाथ मे जँ रहैत शासन
आ कि नहि भेल रहैत सुगौली संधि
तखन एहेन त' नहि रहैत देशक नक्शा
पूबे-पछिमे अपन दुनू हाथ पसारने

हमरे कान्ह छल कंधार कहियो
हमरे छल ढाका-बंगाला
एखन जे देखि रहल छी मूड़ी
एहने नहि छल पहिने
एकर कल्ला छल आधा चीन, समुच्चा पाक
ढेकारे गेल ढाका
पैकारे गेल बर्मा
पतरकी पैर पर ठाढ़ ई जे नक्शा अछि आइ हमरा देशक
ताहू पर बजरि रहल अछि कुड़हरि
लोहा हमरे
बेंट हमरे
धार मुदा करबैत रहैत अछि आन

जाधरि हाथ पसारने रहत नक्शा
आबि-आबि दोसरे चढ़बैत रहत सान
वोट अछि अवश्य मुदा वीटो नहि
अठारह ठाम खुशामद कयलो पर
टहलि रहल छी सुरक्षा परिषदक लॉन मे एखनहुँ
जन-गण मे ठाढ़ होयबा सँ पहिने
करहि पड़त ताकुत आब
जतबो बाँचल अछि माथ
जेहने अछि पैर
गोल करबा लेल अछि पर्याप्त
आब कतेक कुट्टी-बुट्टी बिलहब बेन मे

अनेरे डिरियाइत रहबा सँ बेसी घातक अछि
बेर पर बौक भ' जायब
नक्शाक केन्द्र मे अछि रायसीना
जे दौगैत अछि कम, हकमैत अछि बेसी
हाथ पसारब बेजाय नहि
मुदा ओहि पर डॉलर नहि
राखल जयबाक चाही काज
तखनहि होयत पैर मजगूत
चारि घर धनिकक बलें
गामक दरिद्रा दूर नहि होइत छैक महाराज
दृष्टि-दोष सँ जँ मुक्त भ' जाइक सत्ता
परखि सकत तखनहि
व्हाइट हाउस सँ कारी किछु नहि छैक संसार मे!



अजित आज़ाद

मैथिली कवि-कथाकार-समीक्षक अजित आजादक दू दर्जन सँ बेसी पोथी प्रकाशित छनि । मूल रूप सँ कवि श्री आज़ाद सम्प्रति मधुबनी मे रहैत छथि । मैथिलीक अग्रगण्य प्रकाशन संस्थान नवारम्भ प्रकाशनक निदेशक छथि । हिनका सँ हिनक मोबाइल नंबर +919304349384 पर सम्पर्क कयल जा सकैछ।

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