डॉ. कमल मोहन चुन्नूक तीन टा गजल

                    1.

मुलुकक मनुक्ख आउर जकरा लए साग हइ। 
आफत-असमानी सब ओकरे लए भाग हइ।। 

तिरसुल कि पाथर के ढेपबाहि जँहि-तँहि 
भारथ के हाँक' लए ई कोन राग हइ ??

बीयरि स' पीट-पाटि जकरा भगैबिती से 
सिरमा मे चौपेतल आइयो ओ नाग हइ।।

अँतड़ी दुहलकौ ग' धनियाँ बिदेसिया ई 
उठै जो आँखि पोछ भोरका ई जाग हइ।।

थारी सँ मुह धरिक जतरा-सुतार हम
हमरे पसेना आ हमरे पर दाग हइ ?? 

खत्ता की हत्ता की महला-दुमहला की
लोके हइ धन-बीत लोके सोहाग हइ।। 

बुढ़बा-बुढ़िया लागी एसगरुआ अंगना मे
जेहने अखाढ़-साओन तेहने ओ फाग हइ।। 

सोना के आस तोड़ि लोल नितुआन केने 
सजमनियाँ चार पर आइयो ओ काग हइ।। 

आँखिए के सोझा मे नाचै सरूप दीब 
घिचने हए कहिए स' कोन एहेन ताग हइ ?? 

देखह मजूर भाइ मेथला दिस फेर स' 
सितिया अभगली के यैह कलम-बाग हइ।। 

                2.

कोना-कोना क' करै गोहरिया, की जानी? 
हमरा लए भरि साल अन्हरिया, की जानी?? 

खेतक आरि सँ हाट-बजारक अपनैती 
कहिया बनतै ई एकपेरिया, की जानी?? 

खून-पसेना उसरैग चललहुँ संतति लए 
ओमहर राजा भरै बखरिया, की जानी?? 

साधु-महात्मा मस्त-मलंगी डंटा तर 
राम-राज सपनौती हुँड़िया, की जानी?? 

कहै कहाँदन आर्य-भूमि दक्खल करतै 
कत्ता बनलै मरनीक भरिया, की जानी?? 

बाबा पुरचुक सिका चढ़ौलनि चिनियाँ के 
भार पठौलक बिख के पुरिया, की जानी?? 

बुद्धि-विवेकक अगबे दाबी दिल्ली के 
तखन एते हिजड़ा संगतुरिया, की जानी?? 

जोगी रोगी भोगी सोगी दुनियाँ छै 
एना कथी लए कटै अहुरिया, की जानी?? 

फ़तबा-उधबा उला-पका देखलक सगरो
शांति-सुनरकी बनत बहुरिया, की जानी?? 

एक किरिन हो एक पवन हो एक लहरि 
सगर गाम हो एक इजोरिया, की जानी?? 

                3.

बात-बेबस्थे भेली बेलल्ला।
हमरे बेर हइ ढोंढ़ी ढिल्ला?? 

पेटकट्टी स' जिनगी खेपली 
एहिना मरबै राम हौ अल्ला?? 

हमर घाम पर सब फरफैसी 
हमर पेट बेर झिक्कम-झिल्ला?? 

हमर भोट ठकि दिल्ली ठेकलह 
घरमूहाँ बेर भेली निठल्ला?? 

खूम केलह पैकारी हम्मर 
तोरा लागी भारथ गल्ला।। 

तेल चाउर के खेल खरतिया 
केना हँतलहक बाँहिक सल्ला!! 

गबर-गबर खेलकै गोरिया क' 
गाबै बेरी तोबह-तिल्ला ??

अपना ओइजग जिद्द रोपै छा
हमरा ओइजग गल्लम-गुल्ला??

भलमानुस के खुनियाँ बोलि क' 
फँसरी झिकलह दबलह कल्ला।। 

रामेक देश मे राम निकलुआ
अपने गाम मे केलह तेहल्ला??

सीता-सोग बिसेलै ओकरा 
सीरिया-हीन अजोधिया जिल्ला।। 
 
दगधल जीवन चलती बेरिया 
आब की बसनी की पनिसल्ला!! 

राहु-गहन स' घोर अन्हरिया 
होतै कोना उगरासक पल्ला?? 

हीन अदिनता गबदी तोड़तै
जाबी तीड़ क' करतै हल्ला?? 

हमरो पेट मे बात सड़ै हइ 
कहिया होतै खुल्लम-खुल्ला?? 

डॉ. कमल मोहन चुन्नू

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