हरेकृष्णजी हमर गौआँ रहथि। घरक दूरी तते नहि, मुदा टोल दू। हमर घर पुबारि टोलक पुबरिया छोरसँ कने पच्छिम आ भगवतीस्थान पछबारि टोलक पछबरिया छोर (धार)सँ कने पूब। बाट दछिनबारि टोल होइत। पहिल–नवीपोखरिक पुबारि कातक उतरबरिया बाटमे लक्ष्मीनारायण मन्दिर आ श्रीकृष्णबाबू (पण्डितजी)क दलानक सोझाँसँ जाइत। दोसर–नवीपोखरिसँ पच्छिम घुल्लीबाबू (मुखियाजी) अधवा योगाबाबू (प्रख्यात साहित्यकार …
आगू पढू...(गुरुवर आचार्य रमानाथ झाक जन्मदिवसक अवसरपर समर्पित ई संस्मरणांजलि ) आचार्य रमानाथ झाक प्रथम दर्शन भेल छल 1960 मे रामकृष्ण कॉलेजक सप्ताहव्यापी वार्षिकोत्सवक अवसरपर । पहिले दिन, तीन जनवरीकें पहिल आ कि दोसर सत्रमे कालेज मैथिली साहित्य परिषदक सम्मेलन छलैक । पोर्टिकोक ओसारा छलैक मंच । मंचपर तीनटा विशिष्ट कुर्सी, तकर आगाँ सुसज्ज टेबुल । नीचाँमे पाँच-छौ पतियानी कुर्सी प्र…
आगू पढू...हुनक (मने कुलानंद मिश्र) जन्मतिथिपर, मन पड़ि गेल अछि एक अन्तरंग रोचक प्रसंग– रही एहि साहित्य- कुलक आनन्दप्रदाता समकालीन मैथिली भालक चन्द्र-कला,ता आह्लादकता भरल रहै छल स्वजन-बीचमे बहुत दूर रहितो, लगैछ– छीहे लगीचमे। ते हि नो दिवसा: गता: जहिना आवाज गड़गड़ाइत कंठसँ बहराइत छलनि, तहिना कुलानन्दजीक निर्भीकतो कतोक बेर कने अधिके झलकि जाइत छलनि…
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