पछिला लगभग पाँच बरखक सक्रीय सामाजिक आ साहित्यिक जीवन मे सब सँ बेसी जे सहयोग केलक ओ अछि फेसबुक। फेसबुके के दुआरे हमरा कैकटा प्रिय मित्र भेटलाह आ एहि मित्र सबहक सहयोग सँ शुरू भेल साहित्यिक चौपड़िक यात्रा। नवल श्री 'पंकज' आ बालमुकुंद पाठक सँ भेंटघाँट आ परिचित भ' मित्रता भेलाक बाद हमरालोकनि विचार भेल जे पटना मे जे आइ-काल्हि हमरा सबहक तूर के युवा लेखक सब स…
आगू पढू...सब भाषा के अप्पन फराक गुण-धर्म होइत छैक। हेबाको चाही। मैथिली के सेहो छैक। मने जे मैथिली मे ततेक ने लालित्य छैक जे एकर सबटा भाषाइ संरचना अपनहिं एकटा गेयधर्मिताक के संग चलय लगैत छैक। मने जे एकरा गीतमय होबय मे कोनो दिकदारी नै होइत छैक। सबसँ बेसी गीते उजियायत एहि मे। जौँ इतिहासक परिपेक्ष मे देखी त' मैथिली साहित्यक आरंभ आ भकरार होयबा मे सबसँ बेसी योगदान गीतेक छैक।…
आगू पढू...आज अहलभोर से ही देख रहा हूँ चहुँओर महिला दिवस की बधाई वाली फेसबुकी तख़्ती लटका लिया गया है ,अधिकांश वैसे मित्रों के द्वारा भी जो व्यक्तिगत जीवन में वो नहीं चाहते या करते हैं जो वो दिखना या दिखाना चाह रहे हैं। ये तख़्ती लटकाकर खुद को प्रगतिशील और स्त्रियों के स्वतंत्रता और सम्मान के लिए खुद को बहुत चिंतित और सेंसिटिव साबित करने का जो एक फैशन चल पडा है वो बड़ी अजीब स्…
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